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सीमा के जवानो को साहस और पराक्रम को सलाम

Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
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शैर :- वतन की आवरू, भर नैन निहारै तुमको ,
माँ रो-रो कर, ऐ लाल पुकारै तुमको |
अदू बन सीमा से, कोई गर ललकारै तुमको,
चखा दो उसको मजा रण में जुहारै तुमको |
गज़ल :- ए चहकता चमन है हमारा, हम वतन के पुजारी बनेंगे |
हर सितम होगा हमको गवारा, खेत खातिर जुझारी बनेंगे ||
दूँ मिटा हस्ती उन काफिलों की, जो की सीमा पे आँख उठाए |
तेंणी हो गर किसी की अदाएं, तो हम खुनी कटारी बनेंगे ||
झूले फाँसी के फन्दे पे लाखों, है उन्होंने मुझे यह सिखाया |
आँच आने न देंगे वतन पे, खुद ही खंजर दुधारी बनेंगे ||
मौत से खेल खुनो की होली, हम सजायेंगे अपने चमन को |
दुश्मनो के लिए जंग मैदा, उनके खातिर खुंखारी बनेंगे ||
शान जाने न दूँगा तिरंगे, कौम संग हम हिफ़ाजत करेंगे |
“राय साहब” गरजते सीमा पर नहीं अत्याचारी बनेंगे ||
|| जय हिन्द ||

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