Menu
blogid : 23144 postid : 1321401

लोक गीत (चैता)-भरत बिलाप

Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
  • 24 Posts
  • 6 Comments

बीति गइले चौदहो बरिस हे रामा, भैया नाही अइले ||
हियरा हिलोरे हमरे प्रेम क तूफानवां
काहे ना लवटि अइले हमारा बिरांवां
उठे ला करेजवा में टीस हे रामा ………………………||
का जानी कवनों कुटिल बिसरइलैं
या त सरगवा में जाई तरइलैं
नाहीं अइलैं कबहुँ कपीश हे रामा……………………..||
अइसन ते नाही किरण में भइले
या ते कवनों छलिया छल कइलें
या भेजलें कवनो खब्बीस हे रामा ……………………||
रही रही कसक उठे हमरे हियरवा
कइसे भुलइलै hamara पियरवा
निरखईलै रवि रजनीश हे रामा ……………………..||
लवटि आवा जल्दी सहोदर हे भाई
तोहरे बिना राज -काज क चलाई
“मधुकर “चाहै देखल महीष हे रामा ………………..||

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh