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नटखट-नटवर -:गजल:-

Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
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शैर- करके कन्धा कौतुक ना ना, करतब अपने दिखलाय रहे |
मोर मुकुट कही कांझनिया, मुरली को आधार लगे रहे ||
श्याम सलोनी मनोहर मूरत ,पित वसन लपटाय रहे |
न्योछावर प्राण करै सखियाँ ,”मधुकर” मन मानस भाय रहे ||

कहते हैं ग्रन्थ तिखार सभी,माया अपार हैं नटवर की |
पा सका न कोई पार कभी ,माया अपार है नटवर की ||
वे आगम अगोचर है, भव भय भंजक करुनाकर है |
हैं निगमागम के सार सभी,माया अपार है नटवर की ||
नटखट नटवर गिरधारी है,सोलहो कला अवतारी हैं |
गुण गाता है संसार सभी,माया अपार है नटवर की ||
गो रच्छक मुरलीधारी हैं लीलापति ब्रज के बिहारी हैं |
पुरित उनसे भंडार सभी, माया अपार है नटवर की ||
भक्तो के वे प्रति पालक हैं, दुष्टो के वे संहारक हैं |
हैं उनके ही आधार सभी,माया अपार है नटवर की ||
“मधुकर” हैं करते पदबंदन , सुनो विनय हमारी ब्रजनंदन |
कर दीजै बेड़हापर सभी, माया अपार है नटवर की ||
**कृष्ण जन्मास्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ**

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