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शेर – माता पुकारती है, सर पे बढे कफ़न को
आओ बचाओ बेटे, उजले प्यारे वतन को
दिखला दो आज अपने, शैरो से वंकापन को
फूलो के दिल पहनो, फौलादी पैरहम को
जमी कह रही आसमाँ कह रहा है,अरे गजिओ तू जरूर आइयेगा
मिटाकर जहा से ये हस्ती अदू की, जौहर ज़माने को दिखलाइयेगा
जो देखे वतन को तिरछी नजर, से रहम उनपे करना नहीं बीरबर
खिलते चमन के तुम्ही बगवा हो, गर लूट गया तो फिर पछतायेगा
खू से शमशीर की लौ बुझा तिश्नगी, जिस्ते दुश्मन का अब काफिया तंग हो
छा जा दुश्मन के ऊपर क़यामत ही बन, आलम को फलक तक लहरायेगा
दुश्मनो के हवाई किले तोड़ दो, तुममे है ताकत बर्फी तूफान की
नाज में आ जादूगर जो आगे बड़े, उनके बर्फे तपा उनपे छा जायेगा
“राइ साहब” मुबारक के काबिल है वो, जो लगाता है बजी ब खुद जान की
मिले तुम्हे गाजियों की ही अजमत, वतन पे शहीदी अगर पाइयेगा
आप सभी बंधुओ को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये.
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