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शेर – सागर की लहरे कहती है, सारा कश्मीर हमारा है
एवेरेस्ट की चोटी कहती है, वो भारत का अंगारा है
गंगा यमुना की धरा ने , वीरो को ललकारा है
“मधुकर” कहते बार बार, दुसमन आ हमसे हरा है
मर मिटे वीर लाखो वतन के लिए जंग मैदा से पीछे वो आये नहीं
कारगिल ,हमब कश्मीर में हम कभी ,न देंगे घुसने कभी कसम खा लिया
ए फहराता रहेगा वतन का निशॉ ,मरते दम भी हम इसको झुकाये नहीं
गरते मिसाइल व् बेम तोप सब ,परवा इसकी नहीं करते जाबाज है
हौसला-ए-बुलंदी पे उनका निशॉ ,पेअर पीछे कभी ए हटाये नहीं
शेर दिल है हम शेरे वतन के ,बाकुरे बीर भारत चमन के
ए अडिग है हिमालय को चट्टान सा ,दिल में दुश्मन का है खौफ खाये नहीं
मर मिटेंगे हम, चाहे लगे फसिया, बेशक सर उड़े तो फ़िक्र ही नहीं
“मधुकर” निकले है सर पे बांधे कफ़न, लस्कर बैरी को को उनको सुहाए नहीं
* स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये*
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