Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
- 24 Posts
- 6 Comments
हदीसे ग़म में कोई न मददगार हुआ,
महफिले यार में कोई न अपना यार हुआ.
हर- शय मैं डरता रहा गुनाहों से,
पता नहीं क्यों फिर भी कसूरवार हुआ,
कुबूल करता रहा सारी गलितयां अपनी,
हर खता पे जलील बार -बार हुआ.
शमाँ बंधी हुए थी कहीं से उम्मीदों की,
मिटा हश्र का दामन भी तार -तार हुआ.
है खनकती रह गयी ताबूत की एक कील,
मधुकर ग़मे- हाजात में जिगर पे वार-वार हुआ.
-राय साहब मौर्या `मधुकर’,
ग्राम-छतरीपुर
डाक-कुटीर चक्के
जिला-जौनपुर(उ.प्र.)
पिन-222146
Read Comments