Ghazel Ke Bahane, Desh Ke Tarane
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गर यकीं है दिल में तो,
दीपक से जलना सीख लो.
दूध पानी के सरीखा,
संग में रहना सीख लो.
अमनों चमन के वास्ते,
मांगे दुआ झुककर सभी.
है सजर फल से लदी,
डाली से झुकना सीख लो.
गुनाहों के इस दौर में,
खुदा माफ़ी की हिम्मत दें.
जन्नत सी प्यारी जमीं से
बख्श देना सीख लो.
बोलने की भी अदा से,
जुबान पे मिठास हो,
है कुदरती देन कोयल,
से कुहकना सीख लो.
बाजुओं का जोर मधुकर,
दिखलाओं तुम इस कदर
गिरते को देवें सहारा,
मदद करना सीख लो.
राय साहब मौर्य “मधुकर”
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